कर्म आदमी की मजबूरी भी है और उसका फ़र्ज़ भी.
इसी फ़र्ज़ की अदायगी में आदमी से कुछ गलती का होना भी नामुमकिन नहीं है .
गलतियों को सुधारना भी आदमी का फ़र्ज़ है. अगर किसी भी भाई बहन को मेरी कोई कमी नज़र आती है या मुझ से उन्हें कोई शिकायत है तो वे मुझ पर बताएं ताकि मैं अपनी गलती को सुधर लूं. मेरी गलती को मुझे तर्क और प्रमाण सहित स्पष्ट करें , मैं ऐसे लोगों का हार्दिक आभारी रहूँगा. इस कम्प्लेंट बुक की रचना का मक़सद यही है.
धन्यवाद.
इसी फ़र्ज़ की अदायगी में आदमी से कुछ गलती का होना भी नामुमकिन नहीं है .
गलतियों को सुधारना भी आदमी का फ़र्ज़ है. अगर किसी भी भाई बहन को मेरी कोई कमी नज़र आती है या मुझ से उन्हें कोई शिकायत है तो वे मुझ पर बताएं ताकि मैं अपनी गलती को सुधर लूं. मेरी गलती को मुझे तर्क और प्रमाण सहित स्पष्ट करें , मैं ऐसे लोगों का हार्दिक आभारी रहूँगा. इस कम्प्लेंट बुक की रचना का मक़सद यही है.
धन्यवाद.